शिकागो सम्मेलन
मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व करता हूँ जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनो की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है, जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितो और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता है कि हमने अपने वक्ष में यहुदियो के विशुद्धतम अवशिष्ट अंश को स्थान दिया जिन्होंने दक्षिण भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी , जिस वर्ष उनका पवित्र मंदिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिला दिया गया था। ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व अनुभव करता हूँ जिसने महान जरयुष्ट जाति के अवशिष्ट अंश को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा है।”
Author: स्वामी विवेकानन्द
Source: अमृत वचन