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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशेषता यह है की केवल अधिष्ठान रूप तत्त्वज्ञान और ध्येय संकल्प सामने रखना ही संघ ने पर्याप्त नहीं माना, ध्येय की ओर ले जाने वाला रास्ता भी उसने निर्माण किया है। तत्त्वज्ञान को चरितार्थ करके समाज जीवन क को अपेक्षित आकर देने वाली हेतु पूर्ण, परिणाम कारी अपनी कार्यपद्धति का भी निर्माण किया है। अपने सुदीर्घ अनुभव के आधार पर इस कार्यपद्धति के विषय में हम ऐसा कह सकते है की यदि सम्पूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करने की दृष्टि से कोई एक मात्र उपयुक्त और प्रभावी कार्यपद्धति है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही कार्यपद्धति है कोई दूसरी नहीं। इसी कार्यपद्धति के द्वारा संघ ने अपने अधिष्ठान की निजी शक्ति का परिचय भी दिया है ।
Author: Dattopant Thengadi
Source: Karyakarta, page 88