Guruji on Dharma
नास्तिको की ओर उनके प्रोपेगंडा की तनिक भी चिंता मत करो। हमारे लिए आवश्यक यह है की हम धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानें और इस वास्तविक रूप का संस्कार लोगों पर डालें। वास्तविक धर्म केवल औपचारिक पूजा-पाठ में ही निहित नहीं है, अपितु इसके साथ-साथ, इतना ही नहीं, इससे भी अधिक है अपने समाज में चारों ओर फैले हुए पीड़ितों के प्रति संवेदना रखने में। असहाय व्यक्ति की निःस्वार्थ भाव से सहायता-सेवा करना हमारे धर्म का अंग है।
Author: Sri Guruji
Source: Sri Guruji Jivan Prasang, volume 2, page 89
- Last modified: 9 months ago
- by
Jyoti Sharma