amrutvachan:social_work_dr_ji
Samaj Karya
समाजकार्य में “यथा शक्ति” कहना ठीक नहीं है, यदि परिवार अपना है तो क्या उसके लिए “यथा शक्ति” काम करते हो या उसमें तुम सर्वस्व समर्पण करते हो? समाज के विषय में भी यही भावना चाहिए, इसमें समझौता नहीं हो सकता! “फुर्सत” के समय काम करने की बात भी कृत्रिम है, अज्ञानता है। इसमें न व्यक्ति का कल्याण है, न ही समाज का। सच्चाई और निःस्वार्थ बुद्धि से काम करना ही स्वाभाविक है।
Author: Dr Hedgewar