amrutvachan:uttistha_jagrita
उत्तिसठ जागृत
उठो, जागो और जब तक तुम अपने अंतिम ध्येय तक नहीं पहुँच जाते, तब तक चैन न लो। उठो , जागो… निर्बलता के उस व्यामोह से जाग जाओ। वास्तव में कोई भी दुर्बल नहीं हैं। आत्मा अनंत सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है। इसलिए उठो, अपने वास्तविक रूप को प्रकट करो। तुम्हारे अन्दर जो भगवान है, उसकी सत्ता को ऊँचे स्वर में घोषित करो - उसे अस्वीकार मत करो - हमारी जाति के ऊपर घोर आलस्य, दुर्बलता और व्यामोह छाया हुआ है।
Author: स्वामी विवेकानंद