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हनुमान जी की प्रतीक्षा कर रहा था

कहानी का शीर्षक है हनुमान जी की प्रतीक्षा कर रहा था. सारी राम कथा में एक व्यक्तित्व ऐसा था जो बालक नरेंद्र के हृदय को सबसे अधिक प्रभावित ढंग से छू गया था. प्रभु राम के अतिरिक्त जब कभी भी भक्त हनुमान की चर्चा उठती थी तो वह आत्मविभोर हो जाता था. उनका असाधारण शारीरिक बल व असामान्य भक्ति प्रबल पराक्रम व अनुपम विनयशीलता प्रकांड पांडित्य तथा कामकाज के लिए सतत सिद्धता माता जानकी के सामने बालोचित सरलता.उनके मन को ऐसी भा गई थी कि वे उनकी कथा में ऐसे राम जाते थे कि सब कुछ भूल बैठते थे. क्या मैं भी हनुमान बन सकता हूं? क्या उनके दर्शन हो सकते हैं? यही विचार उनको सताता रहता था. एक दिन रात्रि में बड़ी देर तक पड़ोस में ही रामकथा होती रहे. अशोक वाटिका का प्रसंग था, कथाकार ने कथा को भावप्रधान बनाने के लिए उस वाटिका का विशद वर्णन किया. वर्णन करते करते हुए वे कह उठे कि पवनसुत हनुमान वानर ठहरे वाटिकाओं में उनका वास है फल फूल उनका भोजन है, केले उनका भोजन है केले के वृक्षों की झाड़ियों में छिपे हुए आनंद करते रहते आदि आदि. बालक नरेंद्र को कथा में रस तो आ रहा था परंतु साथ ही हनुमान जी के दर्शनों की लालसा जाग गई जिज्ञासा भड़क उठी रात्रि में कथा समाप्त हो गई श्रोता अपने-अपने घरों को लौट गए. परंतु नरेंद्र घर ना आया. घरवालों को चिंता हो गई खोज की गई, दो घंटे की खोज के बाद जब उन्हें ढूंढ कर निकाला गया. तो वह पड़ोसी के घर, बगीचे में लगे केले के पौधों की झाड़ी में छिपे बैठे थे. झिड़की देते हुए मां ने पूछा, वहां क्या कर रहे थे?

सरल उत्तर था, हनुमानजी की प्रतीक्षा कर रहा था! उनकी सरलता पर माँ बलिहारी हो गई!

Author: राणा प्रताप सिंह

Source: स्वामी विवेकानंद प्रेरक जीवन प्रसंग Volume 1, page 10

Podcast: Was waiting for Hanuman Ji