geet:aaj_tan_man_aur_jivan
आज तन मन और जीवन
आज तन मन और जीवन धन सभी कुछ हो समपर्ण
राष्ट्रहित की साधना में हम करें सर्वस्व अपर्ण
त्यागकर हम शेष जीवन की सुसंचित कामनायें
ध्येय के अनुरूप जीवन हम सभी अपना बनायें
पूर्ण विकसित शुध्द जीवन पुष्प से हो राष्ट्र अर्चन
यज्ञहित हो पूर्ण आहुति व्यक्तिगत संसार स्वाहा
देश के कल्याण में हो अतुल धन भंडार स्वाहा
कर सके विचलित न किंचित मोहके ये कठिन बंधन
हो रहा आह्वान तो फिर कौन असमंजस हमें है
ऊच्यतर आदर्श पावन प्राप्त युग युग से हमें है
हम ग्रहण कर लें पुन: वह त्यागमय परिपूर्ण जीवन