अथ केन प्रयुक्तोऽयं
Subhashita
अर्जुन उवाच
अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुष:
अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजित:
श्रीभगवानुवाच
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भव:
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्
अर्जुन बोले – हे कृष्ण! तो फिर यह मनुष्य स्वयं न चाहते हुआ बलात् लगाए हुए की भाँति किससे प्रेरित होकर पाप का आचरण करता है?
श्रीभगवान बोले – रजोगुण से उत्पन्न हुआ यह काम ही क्रोध है, यह बहुत खानेवाला अर्थात भोगों से कभी न अघाने वाला और बड़ा पापी है, इसको ही तू इस विषय में वैरी जान।
IAST transliteration
arjuna uvācha
atha kena prayukto ’yaṁ pāpaṁ charati pūruṣhaḥ
anichchhann api vārṣhṇeya balād iva niyojitaḥ
śhrī bhagavān uvācha
kāma eṣha krodha eṣha rajo-guṇa-samudbhavaḥ
mahāśhano mahā-pāpmā viddhyenam iha vairiṇam
English meaning
Arjuna said but impelled by what, does man commit sin, though against his wishes, O Varshneya (Krishna), constrained as it were, by force?
The Blessed Lord said: — It is desire, it is anger born of the Rajo-Guna, all-devouring, all sinful; know this as the foe here (in this world).
Source
गीता 3:36, 37 / Gita 3:36, 37