दानं स्वधर्मो
Subhashita
दानं स्वधर्मो नियमो यमश्च श्रुतं च कर्माणि च सद्व्रतानि
सर्वे मनोनिग्रहलक्षणान्ताः परो हि योगो मनसः समाधिः
दान, अपने धर्म का पालन, नियम, यम, वेदाध्ययन, सत्कर्म और ब्रह्मचर्यादि श्रेष्ठ व्रत - इन सबका अंतिम फल यही है कि मन एकाग्र हो जाय, भगवान में लग जाये। मन का समाहित हो जाना ही परम योग है।
IAST transliteration
dānaṃ svadharmo niyamo yamaśca śrutaṃ ca karmāṇi ca sadvratāni
sarve manonigrahalakṣaṇāntāḥ paro hi yogo manasaḥ samādhiḥ
English meaning
Charity, prescribed duties, observance of major and minor regulative principles, hearing from scripture, pious works and purifying vows all have as their final aim the subduing of the mind. Indeed, concentration of the mind on the Supreme is the highest yoga.
Source
भिक्षु गीता : 46 / Bhikshu Gita: 46