केन मार्गेण
Subhashita
श्रीदेव्युवाच
केन मार्गेण भो स्वामिन् देही ब्रह्ममयो भवेत्
त्वं कृपां कुरु मे स्वामिन् नमामि चरणौ तव
ईश्वर उवाच
दुर्लभं त्रिषु लोकेषु तच्छृणुष्व वदाम्यहम्
गुरुं विना ब्रह्म नान्यत् सत्यं सत्यं वरानने
देवी पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं – हे सभी देवताओं के स्वामी, परात्पर जगद्गुरु सदाशिव महादेव ! आप मुझे गुरु के द्वारा दी जाने वाली दीक्षा को दीजिये। हे स्वामी ! जिस मार्ग पर चल कर यह संसारी जीव ब्रह्मस्वरूप बन जाता है, उस मार्ग के आप मुझे दीक्षा दीजिये। ओ मेरे स्वामी ! आप मुझ पर कृपा कीजिये। मैं आपके चरणों में प्रणाम करती हूँ।
तुम्हारे द्वारा किये गए प्रश्नों का समाधान तीनों लोकों में अन्यत्र कहीं मिलना दुर्लभ है, अतः मैं जो कुछ कह रहा हूँ, उसे पूरी सावधानी से सुनो। हे सुन्दर मुख वाली देवी पार्वती ! यह बात पूरी तरह से सही है की गुरु के सिवा कोई ब्रह्म नहीं है, अर्थात इस संसारी जीव को ब्रह्म- स्वरूप का बोध कराने वाला एक मात्र गुरु ही है।
IAST transliteration
śrīdevyuvāca
kena mārgeṇa bho svāmin dehī brahmamayo bhavet
tvaṃ kṛpāṃ kuru me svāmin namāmi caraṇau tava
īśvara uvāca
durlabhaṁ triṣu lokeṣu tacchṛṇuṣva vadāmyaham
guruṁ vinā brahma nānyat satyaṁ satyaṁ varānane
English meaning
By adopting which particular method can an individual soul attain the supreme state of Brahmanhood? I prostrate to Thee. I worship Thy feet. Kindly explain this to me.
The Guru is Brahman and no other than Brahman Itself, O Parvati. I declare this Truth to you. Listen to my words and believe, for this Truth is unknown to anyone else in all the three worlds.
Source
श्री गुरु गीता : 3, 5 / Shri Guru Gita: 3, 5