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Geet, Subhashita, AmrutVachan and Bodhkatha

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subhashita:kshudram_na

क्षुद्रं न

Subhashita

क्षुद्रं न किञ्चिदिह नानुपयोगी किञ्चित् सर्वं हि संघटितमत्र भवेत्फलाय
इत्थं जनं विनयति स्म निरन्तरं यः तं केशवं मुहुरहम् मनसा स्मरामि

इस संसार में क्षुद्र अनुपयोगी कुछ भी नहीं है। सबकुछ फलदायक है, तो सभी का योग्य संगठन होना चाहिए। इस प्रकार सभी लोगों को निरंतर सही राह पर लेकर जाने वाले केशव का मैं बार बार मन में स्मरण करता हूँ।

IAST transliteration

kṣudraṃ na kiñcidiha nānupayogī kiñcit sarvaṃ hi saṃghaṭitamatra bhavetphalāya
itthaṃ janaṃ vinayati sma nirantaraṃ yaḥ taṃ keśavaṃ muhuraham manasā smarāmi

English meaning

There is nothing useless in this world. Everything is fruitful, everyone should be organized in a worthy manner. I repeatedly remember Keśava, who constantly took all people on the right path in this way.

Source

केशवाष्टकं : 4 / keśavāṣṭakaṃ : 4