subhashita:nanasamgajanah_kurvannaikam
नानासंगाञ्जनः
Subhashita
नानासंगाञ्जनः कुर्वन्नैकं साधुसमागमम्
करोति तेन संसारे बन्धनं समुपैति सः
जो मनुष्य अनेक प्रकार की संगति करता है, पर किसी साधु की संगति नहीं करता है, वह संसार में बंधन को प्राप्त होता है।
IAST transliteration
nānāsaṃgāñjanaḥ kurvannaikaṃ sādhusamāgamam
karoti tena saṃsāre bandhanaṃ samupaiti saḥ
English meaning
A person who has many kinds of associations, but does not associate with any monk, he attains bondage in the world.
Source
गणेश गीता : 3:41 / Ganesha Gita: 3:41